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शनिवार, 28 जनवरी 2017

श्रीकृष्ण ने मोर का ही पंख क्यों धारण किया?

श्रीकृष्ण अपने मस्तक पर मोर के पंख धारण करते है। प्रश्न यह उठता है की भगवान् ने किसी अन्य पक्षी के पंख को क्यों धारण नहीं किया? मोर के पंख में ऐसी क्या वशेषता है?



मोर सभी पक्षीयो में परम योगी पक्षी माना जाता है। मोर को कभी किसी ने विषयभोग करते नहीं देखा है। जब मोर मोरनी विहार करते है तब मोर प्रेम में विह्वल हो कर नृत्य करता है और जब उसके नेत्रो से आंसू बहने लगते है तब मयुरी उसका पान कर लेती है। यही मोर की प्रवृत्ति है। इस प्रकार मोर योगी पक्षी है काम वासना से दूर है।

दूसरी तरफ हमारे भगवान् श्रीकृष्ण भी परम योगिराज है। अतः भगवान् मोर के पंख को धारण कर मानो यह बताना चाहते है की मै गोपियों के साथ विहार करूँगा, चीर हरण करूँगा और रास भी करूँगा पर मुझे कोई भोगी नहीं समझना मै तो उस मोर की ही भाँती परम योगी हु काम का लेश मात्र भी मुझे स्पर्श नहीं कर सकता। यही कारण है की भगवान् ने मोर का पंख धारण किया।


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