शिवजी जब कालकूट विष का पान किये तब उन्होंने विष को अपने कंठ पर ही स्थापित कर लिए क्यों?
शिवजी ने लोक कल्याण के लिए जब विषपान किया तब विष को यदि वो बमन (बाहर निकालना) कर देते तो सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश हो जाता अतः सृष्टि की रक्षा के लिए उन्होंने विष बहार नहीं निकाला।
दूसरी तरफ शिवजी ने विष को कंठ से निचे भी नहीं उतार उसका कारण यह था की शिवजी के ह्रदय में नित्य श्रीसीतारामजी का निवास है अतः शिवजी ने यह सोच कर की यदि विष उनके कंठ के नीचे गया तो उनके आराध्य को उस विष से कोई कष्ट न हो यह सोच कर विष को कंठ के नीचे नहीं उतार।
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