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सोमवार, 13 मार्च 2017

जाने ब्रज में कितने प्रकार से होली खेली जाती है!!

हम सभी जानते है कि होलीका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को और उत्सव फाल्गुन पूर्णिमा के दूसरे दिन मनाया जाता है। परंतु ब्रज क्षेत्र की होली लगभग पुरे बसंत पर्यन्त खेली जाती है और विभिन्न प्रकार से यह उत्सव श्रीराधाकृष्ण के प्रेम को स्मरण करते हुए मनाई जाती है। ब्रज क्षेत्र में होली नए फसल के आने की खुसी में भी मनाई जाती है। इस पर्व का ब्रज क्षेत्र में अपना अलग ही महत्त्व है यहाँ के नर-नारी विविध प्रकार के श्रृंगार और वस्त्र आभूषण धारण कर पुरे हर्षोल्लास के साथ इस पर्व का आनंद उठाते है। आइये जाने ब्रज क्षेत्र में मनाई जाने वाली प्रमुख प्रकार की होलियों के बारे में:-

1 फूलो की होली :-फूलो की होली वृन्दावन के रमणरेती में खेली जाती है। ऐसा माना जाता है की श्रीकृष्ण अपने होली की शुरुवात इसी स्थान से करते थे। आज भी ब्रज क्षेत्र में सबसे पहले रमणरेती में ही भगवान् के साथ फूलो की होली खेल कर इस पर्व का शुभारम्भ किया जाता है।

2 लड्डू होली :- ऐसी मान्यता है कि गोकुल गाँव से जब होली खेलने का न्योता बरसाना गाँव में गया तब वहा की महिलाये यह जान कर की उन्हें श्रीकृष्ण के साथ होली खेलने का अवसर प्राप्त होगा अत्यंत प्रसन्न हुई और सभी ने मिलकर लड्डू होली खेली। इसमें बरसाना के लोग लड्डू को न्यौछावर कर होली खेलते है।

3 लट्ठ मार होली :- लट्ठ मार होली फाल्गुन शुक्ल नवमी को मनाई जाती है। यह होली श्रीराधाकृष्ण के प्रेम की पुनरावृत्ति स्वरुप मनाई जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण अपने ग्वाल सखाओ के साथ बरसाना जाकर होली खेलते थे। श्रीकृष्ण अपने कमर में ढाल बाँध कर जाते है और श्रीराधाजी और अन्य सखियो के साथ अटखेलियां करते थे बदले में बरसाने की गोपियाँ उन पर लाठी बरसाती थी तब ग्वाल बाल अपने ढाल से अपनी सुरक्षा किया करते थे। 

4 रंगो की होली :- फाल्गुन शुक्ल दशमी को बरसाना के हुरियार नन्द गाँव की हुरियारीनो के साथ होली खेलने जाते थे। इस दिन नन्द भवन में रंगो के द्वारा खूब होली खेली जाती थी और पकवानो का आनंद लिया जाता था।

लेख :- पं. आशुतोष चौबे
          बिलासपुर (छ. ग.)
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