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शनिवार, 25 मार्च 2017

श्रीराम लक्ष्मण और जानकी जी में अधिक भाग्यशाली कौन है?

वस्तुतः यह प्रश्न करने योग्य तो नहीं है क्योकि भगवान् श्रीराम स्वयं आनंद स्वरुप है और माता सीता उनकी आल्हादिनी शक्ति है और लक्ष्मण सहस्त्र शीश धारी भगवान् अनंत है अतः ये सभी आनंद को प्राप्त किये हुए है। परंतु जब ये श्रीराम अवतार में लौकिक लीला करने इस धारा धाम पर आये तब उनके वनवास के समय का एक दृष्टान्त लौकिक दृष्टि से कौन अधिक भाग्यशाली या आनंदित है यह दर्शाता है।

एक बार की बात है वनवास के समय श्रीराम लक्ष्मण और जानकी जी चित्रकूट में  निवास कर रहे थे। एक दिन श्रीराम और माता जानकी उपवन में विश्राम कर रहे थे तभी माता जानकी एक वृक्ष पर लिपटी हुई लता को देख कर श्रीराम से प्रश्न करते हुए पूछी की इस लता और वृक्ष में अधिक भाग्यशाली कौन है। श्रीराम बोले कि वृक्ष अधिक भाग्यशाली है क्योकि इस कोमल लता का स्पर्श उसे प्राप्त हो रहा है साथ ही उसमे खिली हुई पुष्प वृक्ष को आनंद प्रदान करती है।

अब श्रीराम ने माता जानकी से पूछा की तुम्हारी नजर में कौन अधिक भाग्यशाली कौन है तो माता जानकी ने कहा मेरी नजर में लता अधिक भाग्यशाली है क्योकि उसे वृक्ष का आश्रय प्राप्त है और उसके सहारे ही लता का अस्तित्व है यदि वृक्ष नहीं होता तो लता फल फूल नहीं पाती अतः मेरी नजर में लता अधिक भाग्यशाली और आनंदित है।

श्रीराम और माता जानकी के विचारो में अंतर था दोनों अपने अपने दृष्टि से वृक्ष और लता को भाग्यशाली और सुखी बता रहे थे। तभी वहां लक्ष्मण जी का आगमन हुआ। लक्ष्मण ने दोनों को प्रणाम किया, श्रीराम और माता जानकी उन्हें आशीर्वाद दिए और माता जानकी ने लक्ष्मण जी से प्रश्न करते हुए कहा कि हे लक्ष्मण हम अभी इस वृक्ष और उस पर लिपटी हुई लता में कौन अधिक भाग्यशाली है कौन अधिक आनंदित है इस पर विचार कर रहे थे। तुम्हारे भैया की दृष्टि में वृक्ष अधिक भाग्यशाली है और मेरी दृष्टि में उस पर लिपटी हुई लता। अब तुम बताओ की तुम्हारी दृष्टि में कौन अधिक भाग्यशाली है।

लक्ष्मण ने माता जानकी को हाथ जोड़ कर प्रणाम करते हुए कहा की हे माता मेरी दृष्टि में न ही यह वृक्ष भाग्यशाली है न ही यह लता, मेरी दृष्टि में उस वृक्ष और लता के छाया में विश्राम पा रहा वह पथिक अधिक भाग्यशाली है जो उनकी शीतल छाया में अपने सारे थकान को दूर कर  विश्राम पा रहा है। लक्ष्मण की यह बात सुन कर श्रीराम और माता जानकी दोनों अत्यंत प्रसन्न हुए।

वृक्ष, लता और पथिक कौन है?

वृक्ष है श्रीराम, लता है माता जानकी और पथिक है लक्ष्मण जी। श्रीराम लता रुपी जानकी जी को पा कर अपने को भाग्यशाली मान रहे है। जानकी जी श्रीराम रुपी वृक्ष का आश्रय पा कर अपने को भाग्यशाली मान रही है। पर धन्य है लक्ष्मण जो की अपने प्रभु श्रीराम रुपी वृक्ष और माता जानकी रुपी लता का आश्रय पा कर उनकी शीतल छांव में निश्चिन्त एक पथिक की भाँती विश्राम पा रहे है। अतः लक्ष्मण जी ही सबसे अधिक भाग्यशाली और आनंदित है।

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