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शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

मकर संक्रांति का महत्त्व!!

हमारे हिन्दू सनातन धर्म में एक वर्ष को दो भागो में बांटा गया है पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान् धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है। इस दिन से सूर्य भगवान् पूर्व में उदित हो कर उत्तर की तरफ झुकाव लेते हुए पश्चिम में अस्त होते है इस लिए इसे उत्तरायण कहा जाता है।



 यु तो सनातन हिन्दू धर्म में अधिकांश त्यौहार किसी पौराणिक कथा पर आधारित होता है पर मकर संक्रांति खगोलीय घटना पर आधारित होता है।

 ऐसा माना जाता है की उत्तरायण में सूर्य से सकारात्मक ऊर्जा अधिक निकलती है जो मनुष्य के स्वास्थ और पर्यावरण जीव जन्तुओ के लिए लाभकारी होता है।

मकर संक्रांति ही एक मात्र ऐसा त्यौहार है जिसे सम्पूर्ण भारत वर्ष में अलग अलग नामो से मनाया जाता है। 

उत्तरायण सूर्य में देह त्याग करने को उत्तम बताया गया है ऐसी मान्यता है की उत्तरायण में देह त्याग करने से जीव की मुक्ति हो जाती है और उसे फिर जन्म नहीं लेना पड़ता। 

महाभारत काल में पितामह भीष्म ने इसी दिन अपने देह का त्याग किया था। ऐसी मान्यता है की भगीरथ ने माता गंगा को भी इसी दिन धरती पर अपनी तपस्या के प्रभाव से ला सके थे। 

इस दिन तिल का बड़ा महत्व होता है लोग तिल के लड्डू बनाते है तिल का दान करते है और पुण्य फल की प्राप्ति करते है।


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