बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

करवा चौथ के व्रत से जुडी रोचक कहानियां



जानिये करवा चौथ से जुडी रोचक कहानियाँ ?

जानिये करवा चौथ से जुडी रोचक कहानियाँ 

करवा शब्द का अर्थ है मिट्टी का हुआ बना घड़ा। और चौथ का अर्थ है कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि । करवा चौथ प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है।

वैसे तो करवा चौथ से जुडी कई कहानियाँ है परंतु इसमें सबसे ज्यादा प्रचलित कथा सावित्री - सत्यवान और द्रोपदी से जुडी हुई है। आइये जाने कैसे:-

सावित्री और सत्यवान की कथा

विधि अनुसार जब यमराज सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लेने पहुंचे तो सावित्री यमराज से अपने पति के प्राणों की भीख मांगने लगी। पर यमराज नहीं माने तब पतिव्रता सावित्री ने अन्न जल का त्याग दिया। विवश हो कर यमराज ने फिर सावित्री से उसके पति के अलावा कुछ भी मांगने को कहा। तब सावित्री ने यमराज से एक संतान का वरदान मांगा। वचन से बंधे यमराज को फिर सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े। मान्यता है सावित्री के उसी व्रत के प्रभाव से शुरू हुआ करवा चौथ का व्रत।

द्रोपदी की कथा:-

करवा चौथ को लेकर दूसरी कथा महाभारत युग की है। महाभारत युद्ध से पहले युद्ध में विजय की कामना से द्रौपदी अर्जुन के साथ भगवान कृष्ण की पूजा के लिए नीलगीरि की पहाड़ियों पर जा रही थी। वहां जाते समय द्रौपदी के मन में एक डर बैठ गया। उसे लगने लगा की वो सूनसान जंगल में बिलकुल अकेली पद गई है। द्रौपदी भयाक्रांत हो कर भगवान श्री कृष्ण का स्मरण करती है। तब श्री कृष्ण द्रौपदी के भय को दूर करने के लिए कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी के दिन व्रत करने की सलाह देते हैं। साथ ही इस व्रत के बाद श्री कृष्ण द्रौपदी को पांडवों की जीत का आश्वासन भी देते हैं।

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