जाने क्या है पञ्च महायज्ञ?
गृहस्थ के यहाँ नित्य पांच प्रकार से बहुत से जीवो की अनिवार्य हत्या होती है। इन पांच दैनन्दिनी हत्याओ के पाप को दूर करने के लिए सद्गृहस्थ को नित्य पांच महायज्ञ करने चाहिए।
यज्ञ का मलब केवल अग्निहोत्र करने से नहीं है वरन ऋषि मुनियो अतिथियों जीव जन्तुओ की सेवा करना भी यज्ञ है और यही हमारे सनातन हिन्दू धर्म की विशेषता है की ये प्राणी मात्र के कल्याण और सेवा का सन्देश देता है।
पञ्च महायज्ञ के प्रकार :-
1. ब्रह्म यज्ञ :- वेदादि शास्त्रो का पठन पाठन व स्वाध्याय।
2. पितृ यज्ञ :- पितरो का तर्पण करना।
3. देव यज्ञ :- हवन, पूजन आदि करना।
4. अतिथि यज्ञ :- अभ्यागत को भोजन, शयन, आवासादि की व्यवस्था करना।
5. भुत यज्ञ :- गाय, कौऔ व कुत्तो के लिए ग्रास निकालना। इसे 'बलि विश्वेदेव' कहते है।
सभी चर और अचर भूतो की पूजा की जाती है। भोजन के कुछ अंश में घी मिलाकर विभिन्न देवताओ को अग्नि के द्वारा अर्पित कर देते है। भगवान् को भोग लगाकर भगवत प्रसाद समझ कर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
पञ्च महायज्ञ से मनुष्य सत्य, अहिंसा, परोपकार, दान, दया आदि की प्रवृत्तियाँ बढ़ती है। जिस से वह व्यक्ति स्वयं सुखी होता है और दुसरो को भी सुखी बनाता है।
पूजा के समय क्यों कैसे और कितनी बार करे परिक्रमा
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