सोमवार, 14 नवंबर 2016

जानिये अष्टसिद्धियों का प्रयोग हनुमानजी ने कब कब और कैसे किया ?

सिद्धियाँ आठ प्रकार की होती है और हनुमान जी महराज को ये आठो सिद्धियाँ प्राप्त थी जिसे वो समय समय पर उपयोग किया करते है। आइये जाने हनुमान जी ने कैसे इन आठो सिद्धियों का समय आने पर उपयोग किया:-

1  अणिमा - शरीर को लघु कर लेना।

इस सिद्धि का प्रयोग हनुमान जी ने लंका में प्रवेश करते समय लिया था और सारी लंका में घूम कर वहां के सैन्यबल और अस्त्र शास्त्र के भंडारों का पता लगाया था ताकि रावण की शक्ति का पता लगाया जा सके।

2  महिमा -  शरीर को बड़ा कर लेना।

इस सिद्धि का प्रयोग समुद्र पार करते समय जब सुरसा सामने आयी तब उन्होंने सुरसा को परास्त करने के लिए सौ योजन विस्तार का शरीर धारण किया था। साथ ही माता सीता को श्री राम की वानर सेना पर विशवास दिलाने के लिए भी अशोक वाटिका में विशाल स्वरुप धारण किया था।

3  लघिमा -  शरीर को वायु से भी हल्का कर लेना ताकि उड़ा जा सके।

इस सिद्धि का प्रयोग अशोक वाटिका में वृक्ष के पत्तो में छिप कर माता सीता को अपना परिचय देने के लिए किया।

4 गरिमा -  शरीर को पर्वताकार कर लेना।

इस सिद्धि का प्रयोग हनुमान जी ने महाभारत काल में भीम के घमंड को तोड़ने के लिए अपने पूछ को पर्वत के सामान भारी बना लिया और भीम का अहंकार भंग किया था।

5 प्राप्ति -  संकल्प मात्र से की किसी वस्तु को प्राप्त कर लेना।

किसी भी वास्तु को प्राप्त कर सकते थे। पशु पक्षीयो की बातें समझ सकते थे और उनकी भाषा में बात कर सकते थे। इस सिद्धि का प्रयोग माता सीता का पता लगाने के लिए किया था।

6 प्राकाम्य -  शरीर को सुन्दर, स्वस्थ व तरुण बनाय रखना।

इस सिद्धि के प्रभाव से ही हनुमान जी चिरंजीवी है और अनंत काल तक श्रीराम की भक्ति कर पाने में समर्थ है। इसके प्रभाव से वो मन चाह रूप धारण कर सकते है। सुग्रीव के कहने पर भेष बदल कर ही श्री राम का भेद लेने गये थे।

7 वशित्व -  सभी प्राणियो को वश में कर लेना।

हनुमान जी किसी को भी अपने वश में कर सकते थे। वश में करने के बाद वह उनकी इच्छा अनुसार ही कार्य करता है। इसी सिद्धि के कारण वो अतुलित बल के धाम है।

8 ईशित्व -  ईश्वर की तरह शक्तिमान बनना।

इसी सिद्धि के कारण हनुमान जी ने वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था। इसी के कारण वानरो पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा था। इस सिद्धि से हनुमान जी मृत को जीवित कर सकते थे।



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