भगवान् के श्री अंगों में चरण चन्द्रमा के सामान है। जिस प्रकार चन्द्रमा में प्रकाश भी होता है और शीतलता भी होती है। उसी प्रकार जब भक्त भगवान् के चरणों का ध्यान करते है तब उनके जीवन से अज्ञानता का अंधकार भी मिटता है और उनके अंतर्मन में शीतलता भी आती है।
जब कभी भी भगवान् का ध्यान करने बैठे तब भगवान् के चरणों का ध्यान पहले करना चाहिए ताकि मन में व्याप्त अन्धकार का अंत हो जाय और विभिन्न कामनाओ से दग्ध हमारे ह्रदय में चन्द्रमा की भाँती शीतलता व्याप्त हो जाय तब जा कर अन्य अंगो का ध्यान करना चाहिए।
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