इन्द्र का एक नाम है शतकृतु। शत् का अर्थ होता है सौ और कृतु का अर्थ होता है यज्ञ करने वाला अर्थात जो सौ यज्ञ किया हो उसे शतकृतु कहते है। इन्द्र के आसान पर वही विराजमान हो सकता है जिसने 100 यज्ञ किये हो। प्रत्येक मन्वन्तर में इन्द्र बदल दिए जाते है और ऐसे जीव को इन्द्र की पदवी दी जाती है जिसने 100 यज्ञ पूर्ण किये हो। अतः इन्द्र को शतकृतु कहा जाता है।
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