गुरुवार, 4 मई 2017

जानिये कृष्णावतार में श्रीकृष्ण को किसने दिया था सुदर्शन चक्र!!

वैसे तो सुदर्शन चक्र भगवान् शंकर ने भगवान् विष्णु को उनकी तपस्या से प्रसन्न हो कर दिया था। पर जब भगवान् विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया तब भी उन्होंने सुदर्शन चक्र धारण किया था। आइये जाने श्रीकृष्ण को सुदर्शन किसने दिया था।

जब भगवान् श्रीकृष्ण ने कंश का वध किया तब उनके माता-पिता देवकी और वशुदेव जी ने उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराकर विद्या प्राप्ति के लिए अवन्तिका स्थित संदिपनी आश्रम भेजा जहाँ उस समय की श्रेष्ठ विद्या प्रदान की जाती थी। भगवान् श्रीकृष्ण अपने बड़े भैया बलराम जी के साथ विद्या प्राप्त करने गए। वहा उनके सुदामा आदि मित्र बने जिनके साथ उन्होंने विद्या प्राप्त की। 

एक दिन जब भगवान् श्रीकृष्ण विद्या अध्ययन कर रहे थे तभी संदिपनी आश्रम में भगवान् परशुराम का आगमन हुआ, जिन्हें देख संदिपनी ऋषि ने अध्यापन का कार्य रोक कर उनके स्वागत के लिए आगे बड़े। भगवान् परशुराम ने उनसे कहा की हम यहाँ एक विशेष प्रयोजन से आये है। संदिपनि ने उनसे उनके आने का प्रयोजन पूछा तो उन्होंने कृष्ण और बलराम से एकांत में भेंट करने की बात कही। 

संदिपनि ने कृष्ण बलराम को बुलवाया और भगवान् परशुराम से भेंट कराई। श्रीकृष्ण ने भगवान् परशुराम को देख कर प्रणाम किया तो भगवान् परशुराम मुस्कुरा कर रह गए और आशीर्वाद नहीं दिया। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा की हे भगवन मैंने आपको प्रणाम किया पर आपने मुझे आशीर्वाद नहीं दिया। 

इस पर परशुराम जी बोले की हे कृष्ण मै तुम्हे क्या आशीर्वाद दूँ, आशीर्वाद कहो या आशीर्वचन कहो मुझे बस तुमसे यही कहना है की अब ये लौकिक लीलाये छोड़ो और जिस कारण से तुमने इस धरा पर अवतार लिया है उस कारण की पूर्ति करो। तुमने बहुत माखन खा लिए, बहुत गाये चरा ली, बहुत मुरली बजा ली, बहुत रासलीला हो गई, अब इस धरती का भार कम करो, इस धरती पर जरासंद, बाणासुर, शिशुपाल, दंतवक्र आदि जो आतातायी है उनका संघार करो। मैंने तो जब श्रीराम अवतार हुआ तभी अवकाश ले लिया था पर अब क्षत्रियो का अत्याचार फिर बाद गया है वो प्रजा की छाती पर बैठ कर राज्य करना चाहते है अतः तुम उन्हें उचित दण्ड देकर धरती का भार कम करो। 

ऐसा कहते हुए भगवान् परशुराम ने अपने हाथ में सुदर्शन को प्रकट कर दिया और श्रीकृष्ण को उसे धारण करने को कहा। श्रीकृष्ण ने भगवान् परशुराम को प्रणाम करते हुए उस सुदर्शन को धारण किया और कालान्तर में उस सुदर्शन से अनेक असुरो और आताताईयो का विनाश किया।

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