रविवार, 20 नवंबर 2016

भक्ति के तीन सोपान!!


भक्ति के लिए तीन प्रमुख सोपान है विश्वास, सम्बन्ध और समर्पण। यदि इन तीनो सोपान का आश्रय ले कर सीढ़ी दर सीढ़ी तीनो सोपानों को पार किया जाय तो निश्चय ही मनुष्य को भगवत भक्ति प्राप्त हो जायगी। आइये अब एक एक कर जाने कि ये सोपान है क्या:-
विश्वास:- गोस्वामी जी ने मानस में लिखा है की "जाने बिनु न होय परितिति" जब तक आप किसी के बारे में जान नहीं लेते आप की उसके प्रति श्रद्धा नहीं होती। अतः सबसे पहले हमें सद्गुरु का आश्रय ले कर भगवान् तत्व है क्या यह जानने का प्रयास करना चाहिए। भगवान् है इस बात का हमें दृण विश्वास हो। हमें प्रति पल प्रति क्षण उनकी अनुभूति करने का प्रयास करना चाहिए। जब एक बार हम ये विश्वस बना लेंगे तो फिर अपने आप ही मन में भगवान् के प्रति श्रद्धा और संसार के प्रति विरक्त जागृत हो जायगी।
सम्बन्ध:- विशवास जब दृण हो जाय तब भगवान् से कोई सम्बन्ध स्थापित कर लेना चाहिए। सम्बन्ध से प्रगणता आती है अतः भगवान् से माँ बाप पुत्र पुत्री मित्र भाई जो भी आप को उचित लगे या जिसमे आप की श्रद्धा बलवती हो वह सम्बन्ध भगवान् के साथ स्थापित करना चाहिए।
समर्पण:- जब भगवान् से सम्बन्ध जुड़ जाय फिर उनको अपना सर्वश्व समर्पित कर देना चाहिए। समर्पण का मतलब तन मन और धन से अपना सभी कुछ भगवान् को अर्पण कर देना चाहिए। जब हम अपने मन बुद्धि और अहंकार को संसार से हटा कर भगवान् में लगाते है तब भगवान् हमारे अंतःकरण को शुद्ध कर अपनी भक्ति प्रदान कर देते है।


2 टिप्‍पणियां: