देवताओ और राक्षसो के बीच हुए समुद्र मंथन में सबसे पहले कालकूट विष निकला। उस विष से जब सारी सृष्टि त्राहि त्राहि कर उठी तब महादेव से सभी ने विनती की और शिवजी ने उस कालकूट विष का पान किया। पर प्रश्न यह उठता है की वह कौन सी शक्ति थी जिसका आश्रय लेकर उन्होंने विषपान किया।
संत निर्णय करते है कि समुद्र मंथन से निकले विष का पान महादेव ने श्रीराम नाम का आश्रय लेकर किया। राम नाम के उच्चारण करने पर जब 'रा' अक्षर का उच्चारण होता है तब मुख खुल जाता है और जब 'म' अक्षर का उच्चारण होता है तब मुख बंद हो जाता है।
"नाम प्रभाउ जान सिव निको।
कालकूट फल दीन्ह अमि को।।"
अतः रा अ कर जैसे ही महादेव का मुख खुला सारे विष को भोलेनाथ अपने कंठ पर धारण कर लिए और म बोल कर मुख बंद कर लिया। इस प्रकार राम नाम का आश्रय ले कर ही शिवजी ने विष का पान किया और सम्पूर्ण सृष्टि का कल्याण किया।
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जवाब देंहटाएंशिव जी ने ही विष पान क्यों किया ?
जवाब देंहटाएंबताने का कष्ट करें