सोमवार, 15 मई 2017

रामायण का गान सबसे पहले किसने किया?


हम सभी जानते है की श्रीराम पर लिखा गया सबसे पहला महाकाव्य रामायण है जिसे महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम जन्म के पूर्व ही संस्कृत भाषा में लिखा था। पर क्या आप जानते है की सबसे पहले इस राम कथा का गान सार्वजानिक रूप से कब और किसके द्वारा किया गया?

श्रीराम ने जब माता सीता को वन जाने को कहा तब माता सीता गर्भ से थी। लक्ष्मण जी ने उन्हें महर्षि वाल्मीकि के आश्रम के निकट वन में छोड़ दिया। वाल्मीकि ने जब यह जाना तो उन्होंने माता सीता को अपने आश्रम में आश्रय दिया। कालान्तर में माता सीता ने लव-कुश नाम के दो दिव्य बालको को जन्म दिया। 

महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के चरित्रो पर रामायण नाम के महाकाव्य की रचना की थी पर उस महाकाव्य को किसी को भी बताया या सुनाया नहीं था। सबसे पहले महर्षि ने यह दिव्य काव्य श्रीराम के सुपुत्र लव-कुश को सुनाया और इसे छन्दबद्ध तरीके से गाना सिखाया। श्रीराम जब यज्ञ कर रहे थे तब लव और कुश को महर्षि ने आज्ञा दी की तुम दोनों जाकर अयोध्या के निकट इस महाकाव्य के छन्दों का गान करो। 

महर्षि की आज्ञा पा कर दोनों भाई अयोध्या चले गए और श्रीराम चरित्र का गान करना प्रारम्भ किया। जब अयोध्या वासियो ने इस दिव्य चरित्र को सूना तो वे अत्यंत आनंदित हुए। जब यह बात श्रीराम को पता चली तब उन्होंने उन दोनों बालको को अपने राज दरबार में बुलाया और उनसे उस महाकाव्य के बारे में पूछा। 

तब दोनों भाइयो ने कहा की हे महाराज हमारे गुरुदेव ने इस महाकाव्य की रचना की है जिसमे सम्पूर्ण रामकथा को कहा गया है। श्रीराम सहित सभी सभासदों ने लव-कुश से उस महाकाव्य का सम्पूर्ण गायन करने का आग्रह किया। इसप्रकार सबसे पहले श्रीराम के सामने ही उन्ही के पुत्र लव-कुश ने सम्पूर्ण श्रीरामकथा का गान किया था। लव-कुश ने राम कथा गान करने के बाद अंत में गाया था:-

"हे पितु भाग्य हमारे जागे।
राम कथा कही राम के आगे।।"

।।जय श्रीसीताराम।।

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