प्रायः हमें हनुमान जी एक मुखि ही दिखाई पड़ते है परंतु उनका पञ्च मुख स्वरुप भी है।
पंचमुखी हनुमान जी का रौद्ररूप स्वरुप सर्वोत्कृष्ट है। भक्तो को अभय देने वाला है।
इन मुखो के दिशा के आधार पर नाम निम्न है:-
1 पूर्व की ओर वानर।
2 दक्षिण की और नृसिंह।
3 पश्चिम की और गरुड़।
4 उत्तर की और वाराह।
5 ऊपर की और उठा हुआ मूक अश्व मुख है।
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