शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

हनुमानजी के पुत्र का जन्म कैसे हुआ?

श्रीराम को जब 14 वर्ष का वनवास हुआ तब वे पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन में गए। वन में एक दिन धोखे से रावण ने सीता का हरण कर लिया। रामजी सीताजी की खोज कर रहे थे तभी उनकी भेंट हनुमान सुग्रीव आदि से हुई। 

वानर सेना सीता की खोज करने सभी दिशाओँ को गए। जिसमे दक्षिण दिशा में गई वानर सेना को सम्पाती ने समुद्र तट पर बताया की सीताजी 100 योजन दूर लंका में है। वानरो में निराशा छा गई की अब इस समुद्र को कौन लाँघ कर जाएगा। तब हनुमानजी को जामवंत जी ने उनकी शक्तियाँ याद दिलाई और समुद्र पार जाने को प्रेरित किया।

 हनुमानजी ने श्रीराम का नाम लेकर एक विशाल पर्वत से छलांग लगाईं और आकाश मार्ग से उड़ते हुए लंका पहुच गए। वहाँ जाकर सीता माता से भेंट कर रामजी का संदेशा सुनाया और अपनी क्षुधा शांत करने अशोक वाटिका को उजाड़ दिया। इस बात से क्रुद्ध हो कर रावण ने अपने बेटे अक्षय कुमार को भेजा जिसे हनुमानजी ने यमलोक पहुचा दिया फिर मेघनाद आया जिसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर हनुमानजी को बन्दी बना लिया और रावण के पास ले गए।

 रावण ने हनुमानजी की पूँछ में आग लगवा दी। हनुमानजी ने बदले में पूरी लंका को जला कर ख़ाक कर दिया जब पूरी लंका जल गई तब हनुमानजी अपनी पूँछ में लगी आग बुझाने के लिए समुद्र की तरफ बड़े। जब हनुमानजी समुद्र में अपने पूँछ में लगी आग बुझा रहे थे तब गर्मी के कारण उनके शरीर से पसीने की बूँद टपक रही थी। उनके शरीर से टपका एक बून्द पसीना एक मछली के मुँह में गिरा। उस पसीने के कारण उस मछली ने गर्भ धारण कर लिया। 

रावण का एक भाई था अहिरावण जो पाताल में निवास करता था। एक बार उसके सैनिक भोजन के लिए उस मछली को पकड़ कर पाताल लोक चले गए। जब उस मछली को राक्षसो ने काटा तब उसमे से एक वानर निकला। सभी आश्चर्य में पड़ गए की मछली के पेट से वानर कैसे निकल सकता है। 

बात अहिरावण तक पहुची तब अहिरावण ने उस वानर का नाम मकरध्वज रखा। मकरध्वज बहुत ही बलशाली था अतः अहिरावण ने उसे अपने पाताल लोक का द्वारपाल नियुक्त किया। आगे चल कर राम रावण युद्ध के दौरान जब अहिरावण छल से राम लक्ष्मण का हरण कर पातळ ले आया तब हनुमानजी उन्हें बंधक मुक्त कराने पातळ आये जहा द्वार पर उनकी भेंट अपने पुत्र मकरध्वज से हुई। उन दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में हनुमानजी की विजय हुई और हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर राम लक्ष्मण को बंधन मुक्त कराया। उसके बाद श्रीराम ने मकरध्वज को पातळ लोक का राजा बना कर वहाँ शासन करने की आज्ञ दी। 

स प्रकार हनुमानजी को ब्रह्मचारी होते हुए भी एक पुत्र हुआ और उससे उन्हें युद्ध भी करना पड़ा था।

                    ।। जय श्रीराम।।
                   ।। जय हनुमान।।

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