हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत कलियुग में अत्यंत मंगल कारी और सर्व कामना दायक व्रत है। प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को इस व्रत को किया जाता है। इस व्रत में शिवजी की आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है की प्रदोष काल में भगवान् शिव कैलाश स्थित रजत भवन में नृत्य करते है। इस व्रत को करने से सारे दोष मिट जाते है। आइये जाने की सप्ताह के अलग अलग दिनों के अनुसार इस व्रत को करने से किस प्रकार के फल की प्राप्ति होती है:-
1 सोमवार- सोमवार को इस व्रत को करने से साधक की इक्षा फलित होती है।
2 मंगलवार- मंगलवार को इस व्रत को करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
3 बुधवार- बुधवार को इस व्रत को करने से सर्वकामना सिद्ध होती है।
4 गुरुवार- बृहस्पतिवार को इस व्रत को करने से शत्रुवों का नाश होता है।
5 शुक्रवार- शुक्रवार को इस व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
6 शनिवार- शनिवार को इस व्रत को करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
7 रविवार- रविवार को इस व्रत को करने से साधक निरोगी रहता है।
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जय श्री राम।
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